Tuesday, 24 November 2015

Story

मौसम की तरह ज़िन्दगी
सुदूर दक्षिण में प्रतापी राजा का राज्य था. राजा के तीन पुत्र थे, एक दिन राजा के मन में आया की पुत्रों को कुछ ऐसी शिक्षा दी जाये की समय आने पर वो राज-काज सम्भाल सके. राजा ने सभी पुत्रो को दरबार में बुलाया और कहा, पुत्रो हमारे राज्य में नाशपाती का कोई वृष नही है, में चाहता हूँ तुम सब चार-चार महीने के अंतराल पर इस वृष की तलाश में जाओ और पता लगाओ की वो कैसा होता है? राजा की आज्ञा पा कर तीनो पुत्र बारी-बारी से गए और वापस लौट आये. पहला पुत्र बोला, पिताजी वह तो बिलकुल टेढ़ा-मेढ़ा,और सुखा हुआ था. नही-नही वो तो बिलकुल हरा-भरा एक भी फल नही लगा था, दूसरे पुत्र ने पहले को बीच में ही रोकते हुए कहा. फिर तीसरा बोला वो बहुत ही शानदार था और फलों से लदा पड़ा था. और तीनो पुत्र अपनी-अपनी बात को लेकर आपस में विवाद करने लगे की तभी राजा बोला, पुत्रों दरअसल तुम तीनो ही वृष का सही वर्णन कर रहे हो. तुमने जो देखा वो उस मौसम के अनुसार था. यही जीवन का अनुभव है. पहला किसी चीज के बारे में सही और पूर्ण जानकारी चाहिए तो तुम्हे उसे लंबे समय तक देखना परखना चाहिए. दूसरा हर मौसम एक सा नही होता. उसी प्रकार मनुष्य के जीवन में भी उतार चढ़ाव आते रहते है, अत: अगर तुम कभी भी बुरे दौर से गुजर रहे हो तो अपनी हिम्मत और धैर्य बनाये रखो, समय आवश्य बदलता है और तीसरी बात भ्रम की स्थिति में किसी ज्ञानी व्यक्ति से सलाह लेने में संकोच मत करो.

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