अमरावती:- विदर्भ के एकमात्र पर्यटन स्थल चिखलदरा के प्राकृतिक सौंदर्य स्थल इन दिनों अपने शबाब पर है. गुलाबी ठंड का एहसास देने वाली प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण चिखलदरा की पर्वत श्रुखलाएं हर किसी को अपनी और आकर्षित कर रही है. ठंड के इस मौसम में यहाँ पर चारों और हरियाली व आकर्षक रंग बिरंगी फूलों की बहार छायी हुई है.
ठंडी हवा के स्थान के रूप में मशहूर
चिखलदरा को 1823 में हैदराबाद पलटन के कॅप्टन रॉबिन्स ने ठंडी हवा के स्थान के रूप में खोज की थी. इसके बाद आंग्रेजो ने इस परिसर का विकास किया और आज चिखलदरा विदर्भ का सबसे बड़ा पर्यटन स्थल माना है जाता है. ब्रिटिशो के साथ काम करने वाले ख्रिचन मिशनरी अब भी यहाँ कार्यरत है. 1950 में ब्रिटिश शासन ने यहाँ का कामकाज संभालने के लिए पेल्टोफांड कमिटी का गठन किया था. मध्यप्रांत व बेरार राज्य में के समय 1 अगस्त 1948 में चिखलदरा के गिरी ने नप की स्थापना की गई. सातपुडा की पर्वत श्रुंखलाओ में बसे चिखलदरा में पठार है.मोथा से वैराट तक 25 से 30 किमी का यह परिसर है, लेकिन इसकी चौड़ाई 1 से 5 किमी तक ही है. चिखलदरा शहर का क्षेत्रफल 394 हेक्टेयर है. इस शहर के 2 वर्ग बनाये गए है. जिसमें समुद्र तल से लोअर प्लेटों की उचाई 3,600 फिट व अपर प्लेटों की ऊचाई 3,650 फिट है.
कई दर्शनीय स्थल
इस पर्यटन नगरी में करीबन 10-12 दर्शनीय स्थल है. सबसे महत्वपूर्ण पॉइंट सनसेट पोइंट माना जाता है इसके अलावा पंचबोल, गविलगढ़, देवी पॉइंट भी नागरिकों को अपनी ओर आकर्षित करते है. शक़्क़र तालाब की बोटिंग शासकीय उधान रोपवाटिका झरने पर्यटकों का उत्साह दोगुना कर रहे है. यहाँ पर 13 मार्च 2003 में पवन ऊर्जा प्रकल्प मोथा में शुरू हुआ, जहा से 2 मेगावाट बिजली उत्पादित की जाती है.
पहुचने के लिए दो मार्ग
चिखलदरा पहुचने के लिए दो मार्ग है. एक सबसे पुराना परतवाडा से घटांग, सलोना (48 किमी) व दूसरा परतवाडा से धमानगांव गाढ़ी, मोथा मार्ग (32 किमी ). इसके अलावा धारणी के लिए सेमाडोह से भी चिखलदरा पंहुचा जा सकता है. पर्यटन स्थल में पर्यटकों की सुविधा के लिए पर्यात लॉज, होटल्स रिसोर्ट, वन विभाग के विश्रामगृह होने के साथ ही आमझरी वन विभाग ने कुटिया की भी है.
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