Wednesday, 14 October 2015

देवी चंद्रघंटा

देवी चंद्रघंटा
 दुर्गा जी का तीसरा अवतार चंद्रघंटा है. देवी के माथे पर घंटे के आकर अर्धचंद्र होने के कारण इन्हे चंद्रघंटा कहा जाता है. दअपने मस्तक पर घंटे के आकर के अर्धचंद्र को धारण करने के कारण माँ चंद्रघंटा नाम से पुकारी जाती है. अपने वहान सिंह पर सवार माँ का यह स्वरुप युद्ध दुष्टों का नाश करने के लिए तत्पर रहता है. चंद्रघंटा को स्वर की  देवी भी कहा जाता है. देवी चंद्रघंटा का स्वरुप बहुत ही अद्रुत है. इनके दस हाथ है. जिनमे इन्होने शंख,कमल, धनुष-बाण, तलवार, कमंडल, त्रिशूल,गदा, आदि शस्त्र धारण कर रखे है. इनके माथे पर स्वर्णिम घंटे के आकर चाँद बना हुआ है. और इनके गले में सफ़ेद फूलों की माला है. चंद्रघंटा की सवारी सिंह है. देवी चंद्रघंटा का स्वरुप सदा ही युद्ध के लिए उद्यत रहने वाला दिखाई देता है. माना जाता है कि इनके घंटे की तेज भयानक ध्वनि से दानव, अत्याचारी और राक्षस डरते है. देवी चंद्रघंटा की साधन करने वालों को अलोकिक सुख प्राप्त होता है. तथा दिव्य ध्वनि सुनाई देती है


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