Thursday, 15 October 2015

माता कुष्मांडा

माता कुष्मांडा
अपनी मंद हसीं से ब्रह्माण्ड का निर्माण करने वाली माँ कुष्मांडा देवी दुर्गा का चौथा स्वरुप है. माँ कुष्मांडा की पूजा नवरात्र के चौथे दिन की जाती है. मान्यतानुसार सिह पर सवार माँ कुष्मांडा सूर्यलोक में वास करती है. जो क्षमता किसी अन्य देवी देवता में नहीं है. देवी सिद्धि दात्री शेरनी पर सवार है. अष्टभुजा धारी है. वह उस क्रम में बाए हाथ में कमंडल धनुष,बड़ा और कमल सही हाथों में और अमृत कलश,जाप, माला, गदा, और चक्र है.
चतुर्थी के दिन मालपुए का नैवेद्य अर्पित किया जाए और फिर  उसे योग्य ब्राह्मण को दे दिया जाए।  इस अपूर्व दान से हर प्रकार का विघ्न दूर हो जाता है. मान्यता है की माता की उपासना से मनुष्य को व्याधियों से मुक्ति मिलती है. मनुष्य अपने जीवन के परेशानियों से दूर होकर सुख और समृद्धि की तरफ बढ़ता है.


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