Monday 21 September 2015

क्षमा ही जैन धर्म की बुनियाद

अमरावती: बर्तन बाजार स्थित जैन श्वेतंबर बड़ा मंदिर में गुरुवार को संवत्सरी पर्व के उपलक्ष्य में समाज बंधुओं ने तमाम 84 योनी से क्षमा मांगकर मच्छीमी दुक्क्ड़म कहा. इस दौरान स्वाध्यायी पंकज चोपड़ा तथा शैलेश जैन ने अपने प्रवचन के माध्यम से संवत्सरी पर्व की जानकारी देते हुए कहा कि क्षमा ही जैन धर्म की बुनियाद है. क्षमा के बल पर भगवन महावीर उनके उपसर्गो को सहते हुए साधना के मार्ग पर गतिमान रहे इसी के कारण वे सिद्धि के द्वारा पहुंचे. भगवन महावीर ने क्षमा के बल पर विष को अमृत बना दिया. क्षमा बुनियादी जीवन में से एक है. इस निमत्ति पर्व के अंतिम दिन संवत्सरी पर्व मनाया गया. मंदिर में दोपहर 4 बजे समाज बधुओं ने संवत्सरी प्रतक्रिमान कर सामूहिक क्षमा याचना की 4 घंटे तक यह प्रतक्रिमान जारी था. प्रवचन के बाद ट्रस्ट की ओर से उठाई तप करने वाली कल्पना भंडारी, शीला खंजाची तथा वृषभ जैन की अनुमोदना का सम्मान किया गया. संवत्सरी प्रतिक्रमण के दौरान नविन, कीर्ति बाफना, नगीनचंद  बुच्चा, जसवंतराज लुनिया, भारतबाबू खंजाची,विजय बोथरा, कोमल बोथरा, रमेश गोलेच्छा, सुनील गोलेच्छा, मांगीलाल गोलेच्छा, विनोद सामरा, राजेंद्र लुनावत, अमृत मुथा, किरण सामरा, मनीष जीवानी, सुभाषचन्द्र भंडारी आदि उपस्थित थे.

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