Monday 21 September 2015

स्वराज मेरा जन्मसिध्द अधिकार

तिलक 'स्वराज' के लिए संघर्ष कर रहे थे और वे अपनी बात को अधिक से अधिक लोगों तक पहुचाने के लिए सर्वाजनिक मंच तलाश रहे थे. इसके लिए उन्होंने गणपति उत्सव को चुना और स्वराज मेरा जन्मसिध्द अधिकार है का मंत्र फुंका. बाल गंगाधर तिलक के इस कार्य से दो फायदे हुए. एक तो वह अपने विचारों को जन-जन तक पंहुचा पाए और दूसरा यह कि इस उत्सव ने आम जनता को भी स्वराज के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी और उन्हें जोश से भर दिया इस तरह से गणपति उत्सव ने भी आजादी की लड़ाई में एक अहम भूमिका निभाई. तिलक द्वारा शुरू किया गया यह उत्सव आज भी पूरी श्रद्धा के साथ संपूर्ण भारत में मनाया जाता है.

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