Wednesday, 6 January 2016

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स्वाभिमान की रक्षा 


राष्ट्रकवि माखनलाल चतुर्वेदी सन 1937 में मध्य प्रांत पार्लियामेंटरी बोर्ड के प्रेसिडेंट चुने गए. उधर अखिल भारतीय पार्लियामेंटरी बोर्ड के अध्यक्ष वल्ल्भभाई पटेल थे. दोनों के संबंध बहुत दोस्ताना थे. सरदार पटेल चाहते थे की रविशंकर शुल्क को एमपी का प्राइम मिनिस्टर बनाया जाए. लेकिन माखनलाल द्वारिका प्रसाद मिश्रा या गोविन्द दास के पक्ष में थे और इसके पीछे उनके अपने तर्क थे. सरदार पटेल इस मुद्दे पर मुंबई में ओपेरा हाउस के सामने एक भवन में मीटिंग बुलाई जिसमे सिर्फ माखनलाल को आमंत्रित किया. सरदार पटेल बोले,'माखनलाल आपको रविशंकर शुल्क को प्राइम मिनिस्टर बनाना ही होगा माखनलाल बोले,'मेरी राय में यह उचित नहीं है, क्योकि रविशंकर शुल्क अभी-अभी स्वराज पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आये है. अभी उन्हें प्रांत की जनता का विश्वास प्राप्त करना होंगा. मैं द्वारिका प्रसाद मिश्र या सेठ गोविन्ददास को प्राइम मिनिस्टर बनाने के पक्ष में हूं. सरदार बोले यह सही नहीं. आपके लिए भी यह ठीक नही होगा. माखनलाल ने ढृढ़ता के साथ कहा, मेरे देश और मेरे प्रांत के हित मेरे निजी हितो से काफी ऊपर है और उनकी रक्षा के लिए अनेक बार भी माखनलाल को बलिदान करना पड़ेगा तो वह सहर्ष करेगा. इसके बाद माखनलाल ने अनुशासनबद्ध हो अगले चुनावों में कांग्रेस को जिताया और फिर स्वाभिमान की रक्षा के लिए पार्लियामेंटरी बोर्ड की अध्यक्षता से इस्तीफा दिया.

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