Friday, 8 January 2016

राजा की नियत

एक राजा अपनी प्रजा का हर समय बहुत ध्यान रखता था. पता लगते ही प्रजा की हर परेशानी वह तत्काल दूर कर देता। एक बार वह शिकार करने जंगल में दूर चला गया. शिकार का पीछा करते हए घूमते-घूमते उसे बड़ी देर हो गई. अचानक उसे बड़ी तेज प्यास सताने लगी. इतने में उसने देखा की पास ही एक वृद्धा गन्ने के खेत के किनारे बैठी है. राजा वहा गया और बोला, माई मै बहुत प्यासा हु. मुझे एक गिलास पानी दे दो.वृद्धा उठी उसने एक गन्ना तोडा और उससे रस निकालकर गिलास में राजा को दे दिया पीकर राजा ने कहा, 'माई अभी प्यास नहीं बुझी. एक गिलास और दे दो. वह फिर रस निकालने लगी. राजा के दिल में आया की यह खेत तो बड़ा उपजाऊ है. एक गन्ने में ही एक गिलास भर गया. पर बुढ़िया लगान नहीं देती होगी. उसने वृद्धा से कहा,' माई इस खेत का लगान कितना देती हो वृद्धा ने कहा, हमारा राजा बहुत अच्छा है. लगान नहीं लेता. इस प्रकार का उत्तर पाकर राजा सोचने लगा की बुढ़िया बहुत चतुर है. सारा मुनाफा स्वयं ले जाती है. इस पर मैं कर लगाउँगा इस बीच वृद्धा ने एक गन्ना तोडा, दो तोड़े, तीन तोड़े, लेकिन गिलास नहीं भरा. राजा को आर्चर्य हुआ. उसने वृद्धा से पूछा, माई यह क्या हुआ. पहले एक गन्ने में गिलास भर गया था. अब तीन से भी नहीं भरा. वृद्धा ने उत्तर दिया, ऐसा लगता है. की हमारे राजा की नियत में बदी आ गई है. यदि व्यक्ति की नियत में बदी आ जाती है तो फिर संकेत यही  होता है की व्यक्ति के पास से समृद्धि जाती रहती है. ईश्वर भले व्यक्तियों की बदनीयती को कभी बढ़ावा नही देता है. उन्हें शीघ्र ही उनकी गलती का एहसास करवा देता है. 

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