सामने मेरे तुम बैठे हो ऐसा लगता है
तुम मुझसे कुछ खफा हो
तुम्हे मनाने को जी करता है
तुम्हे दिल में बसाने को जी करता है
सारी दुनिया में तुम्ही तो गुलफ़ाम हो
जैसे अम्बर का तुम महताब हो
यह हसरत न थी कभी मेरी रूह को
हमें भी मुहब्बत होंगी
दिल ही दिल में आहें भरेंगे कभी
यह ऐतबार न था किसी को
सच मोहब्बत तुम ख़ुद भी
क्या ग़जब एहसास हो
जैसे चमन में महकता
कोई खिला गुलाब हो.
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