Friday, 20 November 2015

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राजस्थान की वीरांगना 
राजस्थान की वीरांगना किरण देवी का नाम आज भी बहुत सम्मान से लिया जाता है. उन्होंने शहंशाह अकबर को झुकने के लिए मजबूर कर दिया था. अकबर ने किरण देवी से प्राणो को भीख मांगी थी. शहंशाह अकबर हर साल नौरोज मेला आयोजित करता था. ऐसी मान्यता है की अकबर इस मेले में वेश बदलकर आता और यहां सुंदर महिलाओं की तलाश करता था. एक दिन उसकी नजर मेले में घूम रही किरण देवी पर पड़ी. वह किसी भी कीमत पर उसे हासिल करना चाहता था. उसने अपने गुप्तचरों से उसका पता मालूम करने को कहा. गुप्तचरों ने अकबर को बताया,'किरण देवी मेवाड़ के महाराणा प्रताप सिंह के छोटे भाई शक्ति सिंह की बेटी है. उसका विवाह बीकानेर के पृथ्वीराज राठौड़ से हुआ है.अकबर ने पृथ्वीराज को किसी युद्ध के बहाने बहार भेज दिया और किरण देवी को एक सेविका के जरिये संदेश भेजा कि बादशाह ने आपको बुलाया है. किरण देवी ने बादशाह के हुक्म का पालन किया और वह महल में गई. बादशाह ने कहा, ' तुम्हारी आखिरी इच्छा क्या है. वहा जाकर उसे अकबर के इरादो का पता चला. यह देखकर किरण देवी को क्रोध आ गया. जिस कालीन पर अकबर खड़ा था. उसने वह खींचा और बादशाह धराशायी हो गया. किरण देवी हथियार चलाने और आत्मरक्षा में भी पारंगत थी. वह अकबर की छाती बैठ गई और कटारी निकालकर उसकी दर्गन पर रखते हुए बोली,' बोलो बादशाह, तुम्हारी आखिरी इच्छा क्या है? बाजी इतना जल्दी पलट जाएगी इसका अंदाज अकबर को भी नहीं था. वह किरण से माफ़ी मागने लगा बोला तुम यकीनन दुर्गा हो मुझे माफ़ करो. मैं कसम खाकर कहता हु की अब कभी नौरोज मेला नहीं लगाऊंगा और न कभी किसी औरत के बारे में ऐसी सोच रखूँगा. उसके बाद किरण देवी सम्मान सहित अपने महल में आ गई. कहा जाता है कि अकबर ने उसके बाद फिर कभी नौरोज मेला नहीं लगाया.

1 comment:

  1. बकवास ...कोरी कल्पना ..
    .किसी सिरफिरे के दिमाग की उपज है ...

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