Wednesday 14 October 2015

कहानी

नक़ल करता कैसे?
बात तब की है जब मोहनदास करमचंद गांधी राजकोट में पढ़ते थे. हाईस्कूल के प्रथम वर्ष की परीक्षा का समय था तो इंस्पेक्टर साहब परीक्षा लेने के लिए आए. स्कूल सजाया गया और अगले दिन सब बालक अच्छे दिन कपडे पहनकर स्कूल में आए. गांधी की कक्षा के विद्यार्थियों को अंग्रेजी के पांच शब्द लिखवाये गए. चार शब्द तो सबने ठीक लिखे, पर पाँचवा शब्द बालक गांधी ने गलत लिखा. अध्यापक ने जब उसे गलत लिखते देखा तो इंस्पेक्टर की नजर बचाकर पाँव की ठोकर से उसे सावधान किया और इशारा किया की अगले बालक की स्लेट पर से नक़ल कर ले, पर बालक गांधी के ह्रदय में ये संस्कार जमे थे कि नक़ल न करे, इसलिए उसने नक़ल न की. इस भूल पर उसे इंस्पेक्टर ने डाटा और बाद में अन्य बालकों ने भी हँसी उड़ाई. इन्स्पेटर महोदय के जाने के बाद में अध्यापक ने बालक गांधी को बुलाया और उससे पूछा कि मेरे संकेत करने पर भी तुमने नकल नहीं की और मेरा अपमान करवाया. इस पर बालक गांधी ने नम्रता से कहाँ मास्टर जी, यह तो ठीक है कि आपने मुझे नक़ल करने के लिए संकेत किया था, पर भगवन तो सब जगह मौजूद है, कोई स्थान उनसे खाली नही इसलिए नक़ल कैसे करता? ऐसी सच्ची बात सुनकर अध्यापक को रोमांच हो आया. उसने बालक को पास बुलाया और आशीर्वाद दिया कि एक दिन संसार में तुम्हारा नाम खूब चमकेंगा.   

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