Saturday 24 October 2015

धन, प्रेम और सफलता

एक महिला ने घर क सामने सफ़ेद लम्बी दाढ़ी में तीन साधु-महात्माओं को बैठे देखा. वह धन, प्रेम, और सफलता थे जिन्हे महिला पहचान नहीं पायी. उसने कहा मै आप लोगो को नही पहचानती, बताइये क्या काम है. हमे भिजन करना है. साधुओ ने कहा, ठीक है कृपया मेरे घर में पधारिये और भोजन ग्रहण कीजिये, क्या तुम्हारा पति घर में है. एक साधु ने प्रश्न किया. नहीं वह कुछ देर के लिए बहार गए है. औरत ने उत्तर दिया तब हम अंदर नहीं आ सकते, तीनो एक साथ बोले।थोड़ी देर में पति घर वापस आ गया, उसे साधुओं के बारे में पता चला तो उसने तुरत अपनी पत्नी से उन्हें पुन: आमंत्रित करने के लिए कहा. औरत ने ऐसा ही किया, वह साधुओं के समक्ष गयी और बोली, जी अब मेरे पति वापस आ गए है. कृपया आप लोग घर में प्रवेश करिए. हम किसी घर में एक साथ प्रवेश नही करते, साधुओं ने स्त्री को बताया. ऐसा क्यों है? औरत ने अचरज से पूछा जवाब में मध्य में खड़े साधु ने कहा,' पुत्री मेरी दायी तरफ खड़े साधु का नाम धन और बायीं तरह खड़े साधु का नाम सफलता है. और मेरा नाम प्रेम है. अब जाओ और तीनो में से किसे बुलाना चाहती हो औरत अंदर गयी और अपने पति से सारी बात बता दी. पति बहुत खुश हो गया. वाह आनंद आ गया चलो जल्दी से धन को बुला लेते है. उसके आने से हमारा घर धन दौलत से भर जायेगा और फिर कभी पैसो की कमी नही होगी औरत बोली, क्यों न हम सफलता को बुला ले उसके आने से हम जो करेंगे वो सही होगा और हम देखते-देखते धन-दौलत के मालिक भी बन जायेगे हम तुम्हारी बात भी सही है. पर इसमें मेहनत करनी पड़ेगी, मुझे तो लगता ही धन को ही बुला लेते है. पति बोला थोड़ी देर उनकी बहस चलती रही पर वो किसी निर्चय पर नही पहुंच पाये और अतत निर्चय किया की वह साधुओ से यह कहेंगे की धन और सफलता में जो आना चाहे आ जाये, औरत झट से बाहर गयी और उसने यह आग्रह साधुओ के सामने दोहरा दिया. उसकी बात सुनकर साधुओ ने एक दूसरे की तरफ देखा और बिना कुछ कहे घर से दूर जाने लगे. अरे आप लोग इस तरह वापस क्यों जा  रहे है. ? औरत ने उन्हें रोकते हुए पूछा पुत्री दरअसल हम तीनो साधु इसी तरह द्धार-द्धार जाते है और हर घर में प्रवेश करने का प्रयास करते  है, जो व्यक्ति लालच में आकर धन या सफलता को बुलाता है हम वहा से लौट जाते है, और जो अपने घर में प्रेम का वास चाहता है उसके यहाँ बारी-बारी से हम दोनों भी प्रवेश कर जाते है. 

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