Friday 16 October 2015

पूर्ण होंगी मनोकामनाएं

फेमस हो जाओगे 
नवरात्र काल में यदि माता-पिता की प्रात: काल में उठकर चरण वंदना की जाए तो व्यक्ति की साडी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. मातृ सेवा करने से व्यक्ति प्रसिध्दि पाता है.
स्वस्तिक
नवरात्र के 9 दिनों तक चुने और हल्दी से घर के बहार द्वारा  दोनों ओर स्वस्तिक चिन्ह बनाना चाहिए माता हो साधक को सुख और शांति देती है. वहीं अक्सर घरों में शुभ कार्यों में हल्दी और चुने का टिका भी लगाया जाता है. जिससे वास्तुदोषों का नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति पर नहीं होता है.
ध्वज 
यदि नवरात्र काल में नए ध्वज को घर के छत पर वायव्य कोण (उत्तर-पच्छिम) में स्थापित करना अत्यंत शुभ रहता है. 
पीले रंग के बल्ब 
पूजा घर में पीले रंग के बल्ब का उपयोग करना शुभ होता है. तथा बाकी के कमरों में दूधिया बल्ब का इस्तेमाल करना चाहिए. जीवन में पीले रंग को सफलता का सूचक माना जाता है,पिला रंग भाग्य वृद्धि में सहायक होता है. 
साधना 
नवरात्र काल में पूजन के समय साधक  मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहना चाहिए, क्योंकि पूर्व दिशा शक्ति और शौर्य  प्रतिक है.
शंख व घंटानाद 
सामान्य तौर पर किसी भी पूजन के दौरान ध्वनी का भी विशेष महत्व होता है. इसलिए नवरात्र तो विशेष रूप से शक्ति का पूजन है, वास्तु में कहा गया ह शंख व घंटानाद न सिर्फ देवों को प्रिय है बल्कि इससे वातावरण में भी शुद्ध और पवित्रता आती है. 
कलश की स्थापना 
वास्तु में ईशान कोण को देवताओं का स्थल बताया गया है. इसलिए नवरात्र काल में माता की प्रतिमा या कलश की स्थापना इसी दिशा में करना चाहिए. 
अखंड ज्योति  
अखंड ज्योति को पूजन स्थल के आग्नेय कोण में रखा जाना चाहिए, क्योंकि आग्नेय कोण अग्नि तत्व का पतिनिधित्व करता है.
चंदन की चौकी
नवरात्र काल में यदि माता की स्थापना चंदन की चौकी या पट पर की जाये तो यह अत्यंत शुभ रहता है. 

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